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माँ का दूध शिशु के लिए अमृत


मां का दूध उसके बच्चे के लिए ही बना है और उसके लिए यह हर तरह से पूरा होता है। यह एक प्राकृतिक सच है। कोई और दूध मां के दूध की बराबरी नहीं कर सकता है। अपने बच्चे को जिन्दगी की अच्छी शुरूआत के लिए पहले 4-6 महीने तक केवल मां का दूध ही दें।

मां का दूध पिलाने सम्बंधी कुछ तथ्य (क्या आप जानते है)?

  1. शिशु को अधिक बार स्तनपान कराने से स्तन के कैंसर, स्तन के फोड़े, निपल में सूजन, गर्भाशय के कैंसर, मोपाटा जैसी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती है।

  2. प्रसूति के तुरन्त बाद मां के स्तनों से आनेवाला दूध अर्थात कोलेस्ट्रेम आपके शिशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। यह बिमारियों से बच्चें को बचाने में सहायक है।

  3. वैज्ञानिक खोजों से यह साबित हुआ है कि केवल स्तनपान के सहारे स्वस्थ रहने वाले शिशु को पानी की भी आवश्यकता नहीं रहती (गर्म जलवायु में भी)।

  4. शिशु को बोतल से दूध पिलाने से उसमें 30 प्रतिशत डायरिया (दस्त) अधिक होते है।

  5. शिशु को बोतल से दूध पिलाने से उसमें ।0 प्रतिशत दमा, न्यूमोनिया, कान में दर्द, मुंह में छाले तथा गुदा में लाली बढ़ जाती है।

  6. मां के दूध पर ही रहने वाले स्वस्थ शिशु को दस बारह पतली पानी जैसे हरी टद्टियां या सफेद उल्टी होना एक साधारण बात है।

  7. बच्चा अधिक रोए तो आप ये न समझिये कि आपका दूध काफी नहीं है, बच्चें के अधिक रोने का कारण कान में दर्द, सर्दी , गैस हो सकता है।

  8. आंशिक रूप से बोतल पिलाना, यहां तक कि दिन में एक बार भी हानिकारक है।

  9. अपने शिशु को स्तनपान कराने के दौरान आपको सामान्य से अधिक भोजन करना चाहिए।

  10. मासिक के दौरान, यहां तक कि बुखार, पेचिश , पीलिया आदि बीमारियों में भी आपको शिशु को स्तनपान कराते रहना चाहिएं।

  11. पूरी तरह से बोतल को सावधानी के साथ उबालकर, कीटाणुरहित करके भी यह स्तनपान की तरह सुरक्षित नहीं है।

  12. शिशु जब तक केवल स्तनपान पर है तब तक परिवार.नियोजन में भी आपके लिए सहायक साबित होता है।

  13. अगर शिशु दिन में 7-8 बार तक पेशाब करे तो समझना चाहिए कि दूध पूरा आ रहा है और बच्चे के लिए पर्याप्त है।

क्या करें
  1. दूध पिलाते समय मां को मानसिक तौर पर प्रसन्न व शांत होना चाहिए। मां के खुश रहने पर बच्चा भी खुश रहता है दूध का बहाव बढ़तां है। । 2. दूध पिलाते समय स्तन का काला हिस्सा पूरी तरह बच्चे के मुख में होना चाहिए।

  2. दूध पिलाते समय स्तन का काला हिस्सा पूरी तरह बच्चे के मुख में होना चाहिए।

  3. दूध पिलाते समय शिशु पूरी तरह मां की ओर घूमा होना चाहिए न कि केवल गर्दन।

  4. मां को दोनों तरफ से 10-10 मिनट तक दूध पिलाना चाहिए। शुरू के 5 मिनट सें दूध पतला तथा बाद का दूध गाढ़ा होता है तथा बच्चें का पेट भरने में सहायक होता है।

  5. छः महिने के बाद मां के दूध के साथ हल्का पतला ठोस भी देना चाहिए ।

  6. दूध पिलाने वाली मां को पहले से ढेड़ गुणा आहार चाहिए।

  7. दूध पिलाने वाली मां को खुले वस्त्र पहनने चाहिए।

  8. परिवार वालों को चाहिए कि दूधपिलाने वाली मां को पहले से छःमहीने तक कोई भी खेत का काम न करने भेजे ताकि मां अपने बच्चे को पूरा समय दे सके।

क्या ना करें
  1. ग्लूकोज, शहद, बुद्ठी का प्रयोग न करें।

  2. बच्चों को बोतल से दूध न पिलाएं तथा चुसने वाली निप्पल का भी प्रयोग न करे।

  3. छः महीने के बाद जो ऊपर का दूँध पिलाएँ उसमें पानी न मिलाएं ।

  4. बच्चे को लिटाकर या नाक दबाकर दूध तथा ऊपर का आहार न दे।

  5. मां के बीमार होने पर भी स्तनपान को न रोकें ।

  6. स्तनपान कराने वाली मां का भोजन कम न करें । सख्त भोजन की भी मनाही नहीं है ।

  7. दूध पिलाने संबंधी 3 या 4 घंटो के कढे नियमों का पालन न करें । जब कभी आपके शिशु को भूख लगे उसे स्तनपान कराएं ।